बाबा बूढ़ा अमरनाथ यात्रा संघ

"बाबा बूढ़ा अमरनाथ" जम्मू पुंछ

इस पवित्र तीर्थ स्थान की यात्रा के सम्बन्ध में बहुत सी कथायें प्रसिद्ध हैं जिसमें से एक है कि महान पुलत्स्य ऋषि, प्रतिवर्ष बाबा अमरनाथ के दर्शन करने कश्मीर घाटी जाते थे, अत्यंत वृद्ध हो जाने के कारण जब वह बाबा अमरनाथ के दर्शन करने नहीं जा सके, तो हिम स्वरूप बाबा अमरताथ ने स्वयं प्रकट होकर ऋषि को उनकी तपस्थली (राजपुरा मण्डी) में पुलस्ती नदी के किनारे दर्शन दिये कालान्तर में सुन्दर लोरेन घाटी की महारानी की कथा भी इसमें जुड़ गई। घटना ऐसी है कि महारानी चन्द्रिका जो भगवान शंकर की अनन्य भक्तिनी थी, वो भी । कश्मीर में हिम से स्वनिर्मित शिवलिंग के दर्शन करने प्रतिवर्ष जाया करती थी। एक बार जब कश्मीर में परिस्थितयाँ अनुकूल नहीं थी और यात्रा का समय समीप आ रहा था तो महारानी यह सोचकर कि भीषण परिस्थितियों के रहते हुए उनका अमरनाथ महादेव की वार्षिक यात्रा करना सम्भव नहीं है, विक्षुब्द्ध और उदास रहने लगी। महारानी ने अमर-व्रत रखा और प्रतिपल वह भगवान अमरनाथ का नाम जपने लगी। तपस्या में लीन महारानी चन्द्रिका को एक बूढ़े साधु ने जिनके हाथ में एक पवित्र छड़ी थी, दर्शन दिये और कहा, मैं तुम्हें अमरनाथ महादेव के दर्शन कराऊँगा। उन्होंने महारानी को बताया कि लोरेन से अढ़ाई कोस नीचे, पुलस्ती नदी के तट पर श्री अमरनाथ महादेव के पवित्र और दिव्य दर्शन प्राप्त किये जा सकते हैं।


महारानी उस बूढ़े साधु के नेतृत्व में अपने साथियों को लेकर उस स्थान तक आयीं और साधु के निर्देश से एक स्थान पर श्री अमरनाथ महादेव की पूजा में तल्लीन होकर बैठ गई, जैसे ही महारानी समाधि में पहुंची, कहते हैं कि वह वृद्ध श्वेतवर्णीय साधु जहां खड़े थे वहीं पर धरती में लुप्त हो गये। बहुत ढूंढने के पश्चात् भी साधु का कहीं पता नहीं चला। सभी को विश्वास हो गया कि कोई और न होकर वह स्वयं महादेव ही थे। भगवान शंकर ने प्रकट होकर स्वयं दर्शन दिये हैं। साधु के लोप होने के स्थान पर सफाई व खुदाई की गई तो श्वेत मरमरी शिवलिंग स्वरूप चट्टान प्रकट हुई। तभी से यह पवित्र स्थान बूढ़ा अमरनाथ बाबा चट्टानी के नाम से प्रसिद्ध है। श्री बूढ़ा अमरनाथ महादेव का मन्दिर इस क्षेत्र के निवासियों के लिए अत्यंत पवित्र स्थान है। 1965 मे जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो रहा था तब पाकिस्तानी सेना ने कब्जा करके इस शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया था, परन्तु इसमें वे सफल नहीं हो सके और शिव की कृपा से विजय-श्री भारतीय सेना को मिली। श्री बूढ़ा अमरनाथ मन्दिर में स्थित शिवलिंग श्वेत चमक (स्फटिक) पत्थर का है जो बर्फ की तरह ही चमकता है। यह चट्टान रूपी शिवलिंग पुलस्ती नदी से 200 फीट ऊपर है। श्वेत बर्फ रूपी शिवलिंग को छोड़ कर इस क्षेत्र में अन्य श्वेत पत्थर कहीं भी नहीं पाया जाता।