सृष्टि के प्रारंभ में आदिपुरूष सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने एकोहं बहुस्यामः अर्थात एक से अनेक होने
के संकल्प के साथ ही जीव के सम्मुख विस्तार के भाव को मानो स्थापित कर दिया। एक प्रकार से
यह जीव का नैसर्गिक कर्तव्य बन गया। और जब बात वैचारिक विस्तार की हो तो यह और भी
महत्वपूर्ण हो जाती है। जिस प्रकार सूर्य की प्रथम किरण ही अंधकार के समापन की घोषण करती है
और धीरे-2 अंधकार सूर्य के प्रकाश में विलीन हो जाता है उसी प्रकार सद्विचारों का प्रसार कुविचारों
के समापन का शंखनाद होता है। इस प्राकृतिक अटल सत्य को मूल में रख कर बाबा बूढ़ा अमरनाथ
यात्रा संघ भी विस्तार करने के लिये प्रतिबद्ध है एवं संकल्पित है।
प्रस्तुत पत्रों में अगले पाँच वर्षों की योजनाओं का प्रस्तावित प्रारूप है। आज की कार्यशाला में
आवश्वक परिवर्तनों के साथ इसको सत्यापित करना है।
यह सत्यापित दृष्टिपत्र हमारा पथ प्रदर्शक बनें हमें संगठनात्मक दृष्टि से आगे के रास्ते दिखायेगा
ऐसी अपेक्षा है।
तन समर्पित मन समर्पित और यह जीवन समर्पित चाहता हूँ देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं
गगन गगनाकार सागररू सागरोपम।
राम रावणभोर्युद्धं राम रावण भोरिव॥
आकाश-आकाश के सामान है, महासागर-महासागर के समान है। राम रावण युद्ध की तुलना राम
रावण युद्ध से ही हो सकती है इसी प्रकार हमारे संगठन की तुलना भी केवल हम से ही हो सकती है।
पुंछ यात्रा लक्ष्य 2023
• यात्री संख्या 1000
• पुंछ से मंदिर तक पैदल यात्रा
• पुंछ के दूसरे स्थानों का समायोजन
• पाँच राज्यों से यात्रा में सहभागिता
• इंडियन आर्मी के साथ भारत आभार पर्व
• इनबाउंड यात्रा-पुंछ से वृन्दावन
• पुंछ से शीशगंज
• यात्रा में देश की 10 यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व
• 2000 NGOs से आभार पत्र
यशोदा लक्ष्य 2023
• 300 दान दाताओं का मजबूत तंत्र
• 150 बच्चों की सहायता
• 100 बाबा नंद
• 5100 वार्षिक दानदाता